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Paribhraman - Part 1 - Chalo Anjan Jagah

केहेते है की हर कोई अपने हे तलाश में होता है | किसी की मंजिल पास होकर भी पास नहीं होती है और किसी की दूर होक भी दूर नहीं लगती | लेकिन मुझे ये समज नहीं आता की मेरी मंजिल आखिर है क्या? जो अभी हैं  ज़िन्दगी में काफी है या ये मुझसे ही  बातें करने वाली में खुद कुछ और ही चाहती है | आज ज़िन्दगी के उस मोड़ पे हूँ जहा प्यार है लेकिन उसका सही नाम भी मुहे पता नहीं | परिवार है लेकिन इतनी दूर है की चाहकर भी लौट नहीं सकती, जाना चाहती हूँ फिर वही गलियों में जहा छोटे घर में बड़ी खुशिया होती है | जहा हर घर का पकवान का स्वाद चखने मिलता है | ये वही लम्हे है वो मुझे एक वक़्त पर कुछ मायने नहीं रखते थे और आज एक वक़्त ऐसा है जहा में खुद तय नहीं कर पा रही हूँ की आखिर जाये कहा?  में २५ साल की, में मुंबई से हूँ, जी हा वही सपनो वाला शहर जहा हर कोई अपनी किस्मत आजमाना चाह्ता है, लेकिन मेने तो कही और ही अपनी किस्मत को आजमाया, में आज अमेरिका के एक शहर में हूँ, और यहाँ में क्यू आयी ये पढ़कर  शायद आप हसेंगे या मुझे गलत समझेंगे या शायद ये बात कोई समज ही ना पाए|  २५ साल ये उम्र हमारे यहाँ बोहत ज्यादा होती है अगर आप शाधिसुधा ना